Wednesday, November 21, 2012

मेरी कविताएं : कविताकोश में


Monday, November 19, 2012

निक बनाम करंजिया जनपद के ग्राम खन्नात की नरबदिया आर्मो

निक वुजिसिस

4 दिसम्बर 2012 को ब्रिसडन आस्ट्रेलिया में जन्में निक वुजिसिस  का जीवन सबसे सम्पन्न जीवन कहा जाए तो ग़लत नहीं है. निक वुजिसिस  विश्व का वो बेहतरीन हीरा है जिसे तराशने का काम ईश्वर ने खुद निक में आक़र किया. इस तथ्य की पुष्टि आप life without limbs http://www.lifewithoutlimbs.org पर जाकर कर सकते हैं. करंजिया जनपद के ग्राम खन्नात की नरबदिया आर्मो का शरीर भी निक की तरह ही भगवान ने बनाया है. बाइस साल की नरबदिया को भी ईश्वर ने खुद ब खुद तिल खिसकने के क़ाबिल नहीं बनाया  जैसे के निक को न तो हाथ ही दिये हैं और न ही ऐसे पैर जो शरीरी-मशीन के लिये ज़रूरी हुआ करते हैं. 
  दौनों का जीवन प्रेरणाओं से अटा पड़ा है. सर्वांगयुक्त अच्छी कद-काठी, रंग-रूप, वाले किसी भी व्यक्ति को यदि उसका चाहा हुआ हासिल नहीं हो पाता फ़ौरन वो भगवान के सामने यही सवाल करता-"भगवान ये क्या किया तुमने ."
पर ये दौनों अभाव के बाबज़ूद आत्मिक रूप से आस्था वान हैं ईश्वर के प्रति कृतग्यता व्यक्त करतें हैं. निक क्रिश्चियनीटी के प्रचारक एवम  प्रेरक वक्ता हैं. जब बोलतें हैं तो देवदूत से नज़र आते हैं. भावुक तो बरस पड़ते हैं.  जबकि करंजिया जनपद के ग्राम खन्नात की नरबदिया आर्मो मुंह में पेन की रिफ़िल फ़ंसा कर चित्रकारी करती है. बेटी बचाओ अभियान के तहत जब डिंडोरी जिले में "डिंडोरी-की बेटी" सम्मान देने के लिये बेटियों को तलाशा गया तब कलेक्टर श्री मदन कुमार जी को  नरबदिया आर्मो के बारे में जानकारी हासिल हुई. महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों को सौंपी गई इस बिटिया को "डिंडोरी की बेटी" अलंकरण से अलंकृत करने की............
     दिनांक 18.11.2012 को माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी को नरबदिया को सम्मानित करना था पर अपरिहार्य कारणों से उनकी अनुपस्थिति में पशुपालन एवम अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री श्री अजय बिश्नोई जी, प्रभारी मंत्री श्री देवसिंह सैयाम, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवम राज्य सभा सदस्य श्री सांसद श्री फ़ग्गन सिंह कुलस्ते, विधायक श्री ओमकार सिंह मरकाम, जिला पंचायत अध्यक्ष श्री ओम प्रकाश धुर्वे, एड. विवेक तनखा,आफ़िसर कमांड लखनऊ अनिल चैत एवम मध्य-भारत के आफ़िसर  कमांड के साथ   कलेक्टर श्री मदन कुमार, एस पी आर के अरूसिया, सी.ई. ओ. श्री सोनी की उपस्थिति में अलंकृत किया गया. 

आलेख/प्रस्तुति : गिरीश बिल्लोरे मुकुल एवम  इंदीवर कटारे डिंडोरी में


Wednesday, November 14, 2012

फ़िल्मी गीत-संगीत का स्वर्ण युग अब नहीं रहा : आभास जोशी


     सवाक सिनेमा के सौ बरस पूरे तो हुए पर सिनेमाई संगीत के मायने ही बदल गये . आज़ आपको साठ सत्तर के दशक का सिनेमाई संगीत याद होगा. किंतु बेहद बुरी दशा है हिंदी फ़िल्म संगीत की. बकौल गायक आभास जोशी-"फ़िल्में अब गायकों के लिये अनुकूल नहीं रह गईं हैं."
उनके संगीतकार भाई श्रेयस जोशी का मानना है -"फ़िल्मी गीतों की अधिकतम उम्र अब 15 दिन से ज़्यादा नहीं है."
     गीतकारों,गायकों, संगीतकारों, के नज़रिये से देखा जाए तो बात बहुत हद तक़ बेहद सही और सटीक ही है. 
      दीपावली के मौके पर अपनी दादी से मिलने जबलपुर आए आभास ने बताया - उनका एलबम एच.एम.वी. से ज़ल्द ही निकलेगा. फ़्यूज़न एलबम "ठगनी" कबीरदास जी की रचनाओं पर आधारित है. 2012 के बीतते बीतते आभास जोशी की गायकी आप श्रेयस के संगीत निर्देशन बेहद असरदार साबित होगा. 
  इस वीडियो एलबम की आडियो-वीडियो रिकार्डिग पूर्ण हो चुकी है. प्रोड्यूसर शीघ्र ही इसे लांच करने वाले है.......... 
आभास जोशी के ताज़ा एलबम महानायका ने भी अपनी जगह बना ली है